In love with Mahabharata..
अथा श्री महाभारत कथा
कथा है पुरुषार्थ की
ये स्वार्थकी, परिमार्थकी
सारथी जिसके बने
श्री कृष्ण भारत पार्थकी
शब्द द्विघोषित हुवा
जब सत्य सार्थक सर्वथा
यदायदा हे धर्मश्य
ग्लानिरभवति भारत
अभ्युथानुम अधर्मश्य
तदात्मनुम श्रिजन्म्यहम
परित्रानय साधुनम
विनाशय चादुशकृतम
धर्म सन्तापन अर्थय
सम्भवनी युगे युगे
Death of Shri krisna and end of his dynasty marks beginning of Kalyug (Kali yuga)
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